Sunday 29 July 2012

અબ્રાહમ લિંકનનો પોતાના પુત્રના શિક્ષકને પત્ર....

              વર્ષો પહેલાં અમેરિકાન 16માં પ્રમુખ અબ્રાહમ લિંકને પોતાના પુત્રના શિક્ષકને લખેલો પત્ર ખૂબ જ પ્રસિધ્ધ છે અને ઘણી ભાષાઓમાં તેનો અનુવાદ થયેલ છે. આ પત્રમાં જોવા મળતો શિક્ષકના કર્તવ્ય તરફનો અંગુલી-નિર્દેશ આજે પણ પ્રસ્તુત છે.  પત્રનો ગુજરાતી અનુવાદ પણ ઉપલબ્ધ છે. પણ તેનો મધુ પંત દ્વારા કરાયેલો હિંદી ભાવાનુવાદ મને મળ્યો અને ગમ્યો જે આપ સૌ વાચકો માટે અહીં પ્રસ્તુત છે.




हे शिक्षक !
मैं जानता हूं और मानता हूं कि नतो हर व्यक्ति सही होता है और न ही होता हैं सच्चा ;
किंतु तुम्हें सिखाना होगा कि कौन बुरा है और कौन अच्छा ।

 दुष्ट व्यक्तियों के साथ-साथ आदर्श प्रणेता भी होते हैं । स्वार्थी राजनीतिज्ञों के साथ-साथ समर्पित नेता भी होते हैं ।

समय भले ही लग जाण, पर यदि सिखा सको तो उसे सिखान कि पाए हुए पांच से अधिक मूल्यवान है - स्वयं एक कमाना ।

पाई हुई हार को कैसे झेले, उसे यह भी सिखान और साथ ही सिखाना,  जीत की खुशियां मनाना ।

यदि हो सके तो उसे ईर्ष्या या द्वेष से परे हटाना और जीवन में छिपी मौन मुस्कान का पाठ पढाना ।

जितनी जल्दी हो सके उसे जानने देना कि दूसरों को आतंकित करने वाला स्वयं कमजोर होता है, वय भयभीत व चिंतित है क्योंकि उसके मन में स्वयं चोर होता है ।

उसे दिखा सको तो दिखाना किताबों में छिपा खजाना । और उसे वक्त देना चिंतन करने के लिए... कि आकाश के परे उडते पंछियों का आह्लाद, सूर्य के प्रकाश में मधुमक्खियों का निनाद, हरी-भरी पहाडियों से झांकते फूलों का संवाद, कितना विलक्षण होता है - अविस्मरणीय...... अगाध...

उसे यह भी सिखाना-
धोखे से सफलता पाने से असफल होना सम्माननीय है । और अपने विचारों पर भरोसा रखना अधिक विश्वसनीय है । चाहें अन्य सभी उनको गलत ठहरायें परंतु स्वयं पर अपनी आस्थी बनी रहे यह विचारणीय है ।
उसे यह भी सिखाना कि वह सदय के साथ सदय हो, किंतु कठोर के साथ हो कठोर । और लकीर का फकीर बनकर, उस भीड के पीछे न भागे जो करती हो - निर्थक शोर ।

उसे सिखाना - कि वह सबकी सुनते हुए अपने मन की भी सुन सके, हर तथ्य को सत्य की कसौटी पर कसकर गुन सके । यदि सिखा सको तो सिखाना कि वह दुःख में भी मुस्कुरा सके, घनी वेदना से आहत हो, पर खुशी के गीत गा सके ।

उसे यह भी सिखाना कि आंसू वहते हों तो उन्हें बहने दे, इसमें कोई शर्म नहीं...... कोई कुछ भी कहता हो... कहने दे ।

उसे सिखाना -
वह सनकियों कि कनखियों को हंसकर टाल सके पर अत्यन्त मृदुभाषी से बचने का ख्याल रखे । वह अपने बाहुबल व बुद्धिबल का अधिकतम मोल पहचान पाए परंतु अपने हृदय व आत्मा की बोली न लगवाए ।

वह भीड के शोर में भी अपने कान बन्द कर सके और स्वतः की अंतरात्मा की सही आवाज सुन सके; सच के लिए लड सके और सच के लिए अड सके ।

उसे सहानुभूति से समझाना पर प्यार के अतिरेक से मत बहलाना । क्योंकि तप-तप कर ही लोहा खरा बनता है, ताप पाकर ही सोना निखरता है ।

उसे साहस देना ताकि वक्त पडने पर  अधीर बने , सहनशील बनाना ताकि वह वीर बने ।

उसे सिखाना कि वह स्वयं पर असीम विश्वास करे, ताकि समस्त मानव जाति पर भरोसा व आस धरे ।

यह एक वडा-सा लम्बा-चौडा अनुरोध है पर तुम कर सकते हौ , क्या ईसका तुम्हें बोध है ? मेरे और तुम्हारे ...... दोनों के साथ उसका रिश्ता है ; सच मानो, मेरा बेटा एक प्यारा-सा नन्हा सा फरिश्ता है !






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